वात प्रकृति वाले मनुष्य के लक्षण:-
वात प्रकृति वाले मनुष्य में निम्न लक्षण पाए जाते है
वात प्रकृति वाला व्यक्ति चंचल,अपनी बात पर कायम न रहने वाला, चोर प्रवृति का, विषम अग्नि वाला(कभी अच्छी भूख लगती है कभी बिल्कुल नही लगती), एक जगह स्थिर न रहने वाला (शारीरिक व मानसिक रूप से), रुख स्वभाव वाला, रुक्ष व श्याम वर्ण वाला, बेडौल, कब्ज से पीड़ित, कामी विचारों वाला, कम शक्ति वाला, चटपटी, खट्टी, तीखी वस्तुए अधिक खाने वाला आदि लक्षण होता है।
वात रोगों के लक्षण
सर्वप्रथम पाचन का बिगड़ना, दर्दो का बढ़ना, शरीर मे चिकनापन कम होना, कब्ज का होना, दिनों-दिन वजन घटना, त्वचा या हाथ पैर का क्षरण होना, दौरे पड़ना, रोगों में वृद्धि होते जाना और बीमारियों का बढ़ते जाना या बिगड़ जाना, नींद न आना एवं पूरे बदन में दर्द सा बने रहना,गला सूखना ,मल का कडा होना,त्वचा में रूक्षता ये ज्यादा होता है।घाव को सूखना ,या शरीर का सूखना। वात प्रकृति के मनुष्य का कोष्ठ क्रूर होता है अथार्थ अपच युक्त सूखा हुआ।
वात दोष के कारण
वात रोग होने का मुख्य कारण अत्यंत शीतल पदार्थो व शीतल वायु का सेवन करना , अधिक श्रम करना , शोक से, भय चिंता से , रात्रि में जागने से , अवसाद से , दूषित भोजन जैसे रात का रखा हुआ, ठीक से न पका होना, सफाई से न पकाना इत्यादि ,खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना, ठंडा पानी पीना, दूषित पानी पीना, देर तक सोना, मदिरा या शराब का सेवन करना, मांस खाना इत्यादि वायु विकार होने के मुख्य कारण है।
दिन के अंत मे रात्रि के अंत मे भोजन के पाचन के अंत मे जीवन के अंत अथार्थ वृदावस्था में अथवा किसी भी क्रिया के अंत मे वायु प्रभावित होती है।
नोट:-
वात-ग्रीष्म ऋतु में बढ़ता/संचित होता है वर्षा ऋतु में कुपित/दूषित रहता है और शरद ऋतु में शान्त रहता है
Characteristics of a Vata Constitution:
Individuals with a Vata constitution exhibit the following traits: they are restless, inconsistent in their speech, inclined towards theft, have irregular digestion (sometimes experiencing good appetite, sometimes not at all), cannot stay in one place for long (both physically and mentally), have a dry and dark complexion, are indecisive, suffer from constipation, have erratic thoughts, low strength, enjoy consuming spicy, sour, and pungent foods, among other traits.
Symptoms of Vata Disorders:
The primary symptoms of Vata disorders include impaired digestion, increasing pain, reduced smoothness in the body, constipation, gradual weight loss, skin or extremity dryness, frequent travels, worsening health conditions, insomnia or persistent body pain, dry throat, hard stool, dry skin, wound drying, or overall body dryness. Individuals with a Vata constitution have a harsh digestive system, meaning it is associated with incomplete digestion.
Causes of Vata Imbalance:
The main causes of Vata disorders are excessive consumption of cold substances and cold air, overexertion, grief, fear, staying awake at night, depression, consuming poorly cooked or improperly prepared food, drinking water immediately after eating, consuming cold water, drinking contaminated water, sleeping late, consuming alcohol or liquor, eating meat, among others. Vata is predominantly affected at the end of the day, at the end of the night, at the end of digestion, at the end of life, or at the end of any activity.
Note:
Vata accumulates during the summer season, remains aggravated/diseased during the rainy season, and remains calm during the autumn season.
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